फेमस ब्रैंड्स के सुपर मॉडल मनु बोड़ा मरीजों के भी हैं पसंदीदा डॉक्टर, सर्जरी के साथ मॉडलिंग में कमाया नाम
डॉ बोड़ा देश के पहले ऐसे मॉडल हैं जिन्होंने साल 2011 में पेरिस फैशन वीक में रैंप वॉक किया है। इसके बाद से ही इस फैशन वीक में देश की पहचान पुख्ता होनी लगी है। इसके अलावा मिलान और न्यूयॉर्क सहित विभिन्न देशों में फैशन वीक में रैंप वॉक किया। डॉ बोड़ा ने बताया कि स्कूल के दिनों से ही उन्हें मॉडलिंग का शौक था। शिक्षा में अव्वल रहने और परिजनों की इच्छा के चलते मेडिकल में आगे की पढ़ाई पूरी की। मुंबई से ऑर्थोपेडिक्स में पीजी करने के बाद उन्होंने शिक्षा से ब्रेक लेकर मॉडलिंग शुरू की और इसके बाद इस क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छुआ।
स्पोट्र्स इंजरी क्षेत्र के विशेषज्ञ
फैशन इंडस्ट्री में अपने नाम का डंका बजाने के बाद जहां लोग बॉलीवुड की ओर रुख कर लेते हैं। वहीं मनु ने अपने चिकित्सकीय के पेशे से मुंह नहीं मोड़ा। उनका कहना है कि एक चिकित्सक के तौर पर उन्हें ज्यादा खुशी महसूस होती है। फैशन शोज के दौरान विदेश रहते हुए उन्होंने पेरिस व मिलान आदि देशों से चिकित्सा के क्षेत्र में फेलोशिप हासिल की। इससे उन्हें खासी सहायता मिली। उन्होंने बताया कि स्पोट्र्स इंजरी ( sports injury ) के इलाज में जहां अन्य चिकित्सकों को मरीज को सामान्य स्थिति में लाने के लिए करीब 8 महीने लग जाते हैं। वह यह कार्य तीन महीने में ही पूर्ण कर लेते हैं।
शुरू किया है यू-ट्यूब चैनल
उनका कहना है कि खेलों में आगे नहीं बढऩे का प्रमुख कारण यही है कि अपने शुरुआती दिनों में ही खिलाड़ी चोटिल हो जाता है और सही चिकित्सकीय इलाज और सलाह नहीं मिलने के कारण आगे नहीं बढ़ पाता। ऐसे में उन्होंने इसी क्षेत्र में विशेषज्ञ बनने की ठानी। अपनी विशेषज्ञता के चलते वह सर्जरी के अगले ही दिन से मरीज को चलाने लग जाते हैं। इस संबंध में अधिक जागरुकता के लिए उन्होंने अपने नाम से (डॉ मनु बोड़ा) यू-ट्यूब चैनल भी शुरू किया है।
चिकित्सा क्षेत्र को समर्पित मॉडल
मॉडलिंग क्षेत्र में जाने के इच्छुक युवाओं से डॉ बोड़ा का कहना है कि पहली प्राथमिकता शिक्षा होनी चाहिए। पूरी शिक्षा प्राप्त करने के बाद ही इस क्षेत्र में जाना चाहिए। कुछ वर्षों बाद जीवनोपार्जन की समस्या उत्पन्न होने लगती है। इसलिए मॉडलिंग के लिए शिक्षा नहीं छोडऩी चाहिए। मनु के पिता महेश बोड़ा वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और माता सुमित्रा बोड़ा चिकित्सक हैं। अन्य जोधपुरवासियों की तरह उन्हें दाल बाटी और गुलाब जामुन खासे भाते हैं लेकिन खुद को फिट रखने के लिए नियमित व्यायाम और संयमित भोजन ही करते हैं।